Thursday, August 17, 2017

भारत में मनोरंजन और खेल

मनोरंजन और खेल के क्षेत्र में भारत में खेलों की एक बड़ी संख्या विकसित की गयी थी। आधुनिक पूर्वी मार्शल कला भारत में एक प्राचीन खेल के रूप में शुरू हुई और कुछ लोगों द्वारा ऐसा माना जाता है कि यही खेल विदेशों में प्रेषित किये गए और बाद में उन्ही खेलों का अनुकूलन और आधुनिकीकरण किया गया।ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में आये कुछ खेल यहाँ काफी लोकप्रिय हो गए जैसे फील्ड हॉकीफुटबॉल (सॉकर) और खासकर क्रिकेट.
हालांकि फील्ड हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है, मुख्य रूप से क्रिकेट भारत का सबसे लोकप्रिय खेल है, बल्कि न केवल भारत बल्कि पूरे उपमहाद्वीप (subcontinent) में ये खेल मनोरंजन और पेशेवर तौर पर फल फूल रहा है। यहाँ तक कि हाल ही में क्रिकेट को भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों के लिए एक मंच के रूप में उपयोग किया जा चुका है। दोनों देशों ने क्रिकेट टीमों सालाना एक दुसरे के आमने सामने होती हैं और ऐसी प्रतियोगिता दोनों देशो के लिए काफी जोश भरी होती है। पारंपरिक स्वदेशी खेलों में शामिल हैं कबड्डी और गिल्ली-डंडा, जो देश के अधिकांश भागों में खेला जाता है। इंडोर (घर के भीतर खेले जाने वाले) और आउटडोर (घर के बाहर खेले जाने वाले) खेल जैसे कि शतरंज (Chess), सांप और सीढ़ी (Snakes and Ladders), ताश (Playing cards), पोलो (Polo), कैरम (Carrom), बैडमिंटन(Badminton) भी लोकप्रिय हैं। शतरंज का आविष्कार भारत में किया गया था।


                               
वार्षिक सर्प नाव दौड़ (snake boat race) का प्रदर्शन पथानामथिट्टा (Pathanamthitta) के नज़दीक अरनमुला (Aranmula) पर पम्बा नदी (Pamba River) में ओणम (Onam
भारत में ताकत और गति के खेलों बहुत समृद्ध हैं। प्राचीन भारत में वज़न, कंचे या पास के रूप में पत्थर का प्रोयोग किया जाता था। प्राचीन भारत में रथ दौड़, तीरंदाजी, घुड़सवारी, सैन्य रणनीति, कुश्ती, भारोत्तोलन, शिकार, तैराकी और दौड़ प्रतियोगिताएं होती थीं।

लोकप्रिय मीडिया

टेलीविजन

भारतीय टेलिविज़न कि शुरुआत १९५९ में शिक्षा कार्यक्रमों के प्रसारण के परीक्षण के साथ हुई. भारतीय छोटे परदे के कार्यक्रम १९७० के मध्य में शुरू किये गए। उस समय वहां केवल एक राष्ट्रीय चैनल दूरदर्शन था, जो कि सरकार द्वारा अधिकृत था, १९८२ में भारत में नै दिल्ली एशियाई खेलों के साथ टी वी प्रोग्रामिंग में क्रांति आई, उसी वर्ष भारत में पहली बार रंगीन टी वी आये.रामायण और महाभारत कुछ लोकप्रिय टेलीविजन श्रृंखलाओं में से थे। 1980 के दशक के अंतिम हिस्से तक अधिक से अधिक लोगों के पास अपने टीवी सेट हो गए थे। हालांकि चैनल एक ही था, टीवी प्रोग्रामिंग संतृप्ति पर पहुँचा चुकी थी। इसलिए सरकार ने एक अन्य चैनल खोल दिया जिसमें कुछ भाग राष्ट्रीय प्रोग्रामिंग और कुछ भाग क्षेत्रीय प्रोग्रामिंग का था। इस चैनल को डीडी २ और बाद में डीडी मेट्रो के रूप में जाना जाता था। दोनों चैनलों पृथ्वी से प्रसारित थे।
१९९१ में, सरकार ने अपने बाजार खोले और केबल टेलीविजन की शुरुआत हुई.तब से उपलब्ध चैनलों की संख्या में एक बड़ा उछाल कर आया है। आज, भारतीय सिल्वर स्क्रीन अपने आप में एक बहुत बड़ा उद्योग है और इसमें भारत के सभी राज्यों के हजारों कार्यक्रम है। छोटे परदे ने कई सिलेब्रिटी यानि मशहूर हस्तियों को जन्म दिया है और उनमें से कुछ आज अपने लिए राष्ट्रीय ख्याति अर्जित कर चुके हैं। कामकाजी महिलाओं और यहाँ तक की सभी प्रकार के पुरुषों में भी टी वि धारावाहिक बेहद लोकप्रिय हैं। छोटे परदे पर काम करने वाले कुछ अभिनेताओं ने बॉलीवुड में भी अच्छी जगह बनाई है। भारतीय टीवी, पश्चिमी टीवी की तरह ही विकसित हो चूका है और यहाँ भी कार्टून नेटवर्क, निकेलोदियन, एमटीवी इंडिया जैसे स्टेशन आते हैं।

सिनेमा

एक बॉलीवुड डांस नंबर की शूटिंग
बॉलीवुडमुम्बई स्थित भारत के लोकप्रिय फिल्म उद्योग का अनौपचारिक नाम है। बॉलीवुड और अन्य प्रमुख सिनेमाई केन्द्रों (बंगालीकन्नड़मलयालममराठीतमिलतेलुगु (Telugu)) को मिलाकर व्यापक भारतीय फिल्म उद्योग का गठन होता है। सबसे ज्यादा संख्या में फिल्मों के निर्माण और बेचे गए टिकटों की सबसे बड़ी संख्या के आधार पर इसका उत्पादन दुनिया में सबसे ज्यादा माना जाता है।
व्यावसायिक फिल्मों के अलावा, भारत में भी समीक्षकों द्वारा बहुप्रशंसित सिनेमा का निर्माण हुआ है। जैसे की सत्यजीत रेऋत्विक घटक (Ritwik Ghatak), गुरु दत्त(Guru Dutt), के.एच. विश्वनाथ (K. Vishwanath), अदूर गोपालकृष्णन (Adoor Gopalakrishnan), गिरीश कासरवल्ली (Girish Kasaravalli), शेखर कपूर(Shekhar Kapoor), ऋषिकेश मुखर्जीशंकर नाग (Shankar Nag), गिरीश कर्नाडजी वी अय्यर (G. V. Iyer) जैसे निर्माताओं द्वारा बनाई गयी फिल्में.भारतीय फिल्म निर्देशक (Indian film directors), देखें) दरअसल, हाल के वर्षों में अर्थव्यवस्था के खुलने और विश्व सिनेमा की झलक मिलने से दर्शकों की पसंद बदल गयी है। इसके अलावा, अधिकांश शहरों में मल्टीप्लेक्स के तेजी से बढे है जिससे, राजस्व का स्वरूप भी बदलने लगा है।

रेडियो

मुंबई में फॉक्सहंट पर अप्रवीण रेडियो ऑपरेटर.
भारत में रेडियो प्रसारण १९२७ में, निजी स्वामित्व के दो ट्रांसमीटरों (transmitter) द्वारा बॉम्बे और कोलकाता में शुरू हुआ। १९३० में इनका राष्ट्रीयकारन किया गया और १९३६ तक इन्होने "भारतीय प्रसारण सेवा" नाम से काम किया। १९३६ में इनका नाम बदल कर, ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) कर दिया गया। यद्यपि १९५७ में आधिकारिक तौर पर इसका नाम बदल कर आकाशवाणी कर दिया गया लेकिन आज भी यह ऑल इंडिया रेडियो के नाम से लोकप्रिय है। ऑल इंडिया रेडियो प्रसार भारती (ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) का एक अंग है। जो कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार की एक स्वायत्त संस्था है। यह प्रसार भारती के राष्ट्रीय टेलीविजन प्रसारणकर्ता दूरदर्शन की एक सहयोगी संस्था है। २० वीं शताब्दी के अंत के बाद से भारत में रेडियो आवृत्तियों एफ एम् और ए एम् बैंड को निजी क्षेत्र के प्रसारणकर्ताओं के लिए खोला दिया गया है लेकिन ऐसी सेवा ज्यादातर महानगरीय क्षेत्रों तक ही सीमित है। मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बंगलौर जैसे शहरों में कई एनी निजी एफ एम् चैनल लोकप्रिय हिंदी और अंग्रेजी संगीत प्रसारित करते हैं, हालाँकि उन आकाशवाणी की तरह समाचार प्रसारित करने का अधिकार नहीं है। हाल ही में वर्ल्ड स्पेस (World Space) ने देश की पहली उपग्रह रेडियो सेवा का शुभारंभ किया

No comments:

Post a Comment