1. ऊधों का लेना न माधो का देना – लटपट से अलग रहना 2. आधा तीतर आधा बटेर – बेमेल स्थिति 3. आग लगाकर जमालो दूर खड़ी – झगड़ा लगाकर अलग हो जाना 4. सारी रामायण सुन गये, सीता किसकी जाये (जोरू) – सारी बात सुन जाने पर साधारण सी बात का भी ज्ञान न होना 5. मन चंगा तो कठौती में गंगा – हृदय पवित्र तो सब कुछ ठीक 6. अशर्फी की लूट और कोयले पर छाप – मूल्यवान वस्तुओं को नष्ट करना और तुच्छ को सँजोना 7. कहाँ राजा भोज कहाँ भोजवा (गंगू) तेली – छोटे का बड़े के साथ मिलान करना 8. इतनी-सी जान, गज भर ही जबान – छोटा होना पर बढ़-बढ़कर बोलना 9. हंसा थे सो उड़ गये, कागा भये दीवान – नीच का सम्मान 10. भागते भूत की लँगोटी ही सही – जाते हुए माल में से जो मिल जाय वही बहुत है 11. अपना ढेंढर न देखे और दूसरे की फूली निहारे – अपना दोष न देखकर दूसरों का दोष देखना 12. गुरु गुड़ चेला चीनी – गुरु से शिष्य का ज्यादा काबिल हो जाना 13. हाथी चले बाजार, कुत्ता भूँके हजार – उचित कार्य करने में दूसरों की निन्दा की परवाह नहीं करनी चाहिए 14. आँख का अंधा नाम नयनसुख – गुण के विरुद्ध नाम 15. देशी मुर्गी, विलायती बोल – बेमेल काम करना 16. ईंट का जवाब पत्थर – दुष्ट के साथ दुष्टता करना 17. बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद – मूर्ख गुण की कद्र करना नहीं जानता 18. मँगनी के बैल के दाँत नहीं देखे जाते – मुफ्त मिली चीज पर तर्क व्यर्थ 19. आप भला तो जग भला – स्वयं अच्छे तो संसार अच्छा 20. चमड़ी जाय, पर दमड़ी न जाय – महा कंजूस 21. हाथ कांगन को आरसी क्या? – प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण क्या 22. एक तो करेला आप तीता दूजे नीम चढ़ा – बुरे का और बुरे से संग होना 23. काला अक्षर भैंस बराबर – निरा अनपढ़ 24. दमड़ी की हाँड़ी गयी, कुत्ते की जात पहचानी गयी – मामूली वस्तु में दूसरे की पहचान 25. हाथी के दाँत दिखाने के और, खाने के और – बोलना कुछ, करना कुछ 26. ओस चाटने से प्यास नहीं बूझती – अधिक कंजूसी से काम नहीं चलता 27. ऊँची दूकान फीका पकवान – बाहर ढकोसला भीतर कुछ नहीं 28. रस्सी जल गयी पर ऐंठन न गयी – बुरी हालत में पड़कर भी अभिमान न त्यागना 29. का बर्षा जब कृषि सुखाने – मौका बीत जाने पर कार्य करना व्यर्थ है 30. तेली का तेल जले और मशालची का सिर दुखे (धाती फाटे) – खर्च किसी का हो और बुरा किसी और को मालू हो 31. बूड़ा वंश कबीर का उपजा पूत कमाल – श्रेष्ठ वंश में बुरे का पैदा होना 32. लूट में चरखा नफा – मुफ्त में जो हाथ लगे, वही अच्छा 33. एक म्यान में दो तलवार – एक स्थान पर दो उग्र विचार वाले 34. ठठेरे-ठठेरे बदलौअल – चालाक को चालक से काम पड़ना 35. न देने के नौ बहाने – न देने के बहुत-से बहाने 36. मेढ़क को भी जुकाम – ओछे का इतराना 37. ऊँट किस करवट बैठता है – किसकी जीत होती है 38. काठ की हाँड़ी दूसरी बार नहीं चढ़ती – कपट का फल अच्छा नहीं होता 39. मियाँ की दौड़ मस्जिद तक – किसी के कार्यक्षेत्र या विचार शक्ति का सीमित होना 40. नाच न जाने आँगन टेढ़ा – खुद तो ज्ञान नहीं रखना और सामग्री या दूसरों को दोष देना
No comments:
Post a Comment