कहावतें तथा लोकोक्तियाँ हिन्दी भाषा का एक अहम भाग है। इसीलिए यह विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे यूजीसी, आरएएस, पीजीटी, टीजीटी, एसएससी, ग्रामीण बैंक, रेलवे, सब इंन्स्पेक्टर, कांस्टेबल इत्यादि में कहावतें तथा लोकोक्तियाँ पर अनेक प्रश्नों का समावेश होता है। प्रतियोगी परीक्षार्थियों के मार्गदर्शन और ज्ञानवर्धन के लिए हम यहां कुछ प्रसिद्ध हिन्दी कहावतें तथा लोकोक्तियाँ दे रहे है। जिससे वह अपनी श्रेष्ठ तैयारी करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।
1. मानो तो देव, नहीं तो पत्थर – विश्वास ही फलदायक 2. आम का आम गुठली का दाम – सब तरह से लाभ-ही-लाभ 3. घर की मुर्गी दाल बराबर – घर की वस्तु का कोई आदर नहीं करना 4. बिल्ली के भाग्य से छींका (सिकहर) टूटा – संयोग अच्छा लग गय 5. ऊँचे चढ़ के देखा, तो घर-घर एकै लेखा – सभी एक समान
6. रोजा बख्शाने गये, नमाज लगे पड़ी – लाभ के बदले हानि 7. मुँह में राम, बगल में छुरी – कपटी 8. इस हाथ दे, उस हाथ ले – कर्मों का फल शीघ्र पाना 9. मोहरों की लूट, कोयले पर छाप – मूल्यवान वस्तुओं को छोड़कर तुच्छ वस्तुओं पर ध्यान देना 10. गुड़ खाय गुलगुले से परहेज – बनावटी परहेज 11. नाम बड़े, पर दर्शन थोड़े – गुण से अधिक बड़ाई 12. लश्कर में ऊँट बदनाम – दोष किसी का, बदनामी किसी की 13. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे – अपराधी ही पकड़नेवाली को डाँट बताये
14. दुधारु गाय की दो लात भी भली – जिससे लाभ होता हो, उसकी बातें भी सह लेनी चाहिए 15. बैल का बैल गया नौ हाथ का पगहा भी गया – बहुत बड़ा घाटा 16. ऊँट के मुँह में जीरा – मरूरत से बहुत कम 17. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी – झगड़े के कारण को नष्ट करना 18. भैंस के आगे बीन बजावे, भैंस रही पगुराय – मूर्ख को गुण सिखाना व्यर्थ है 19. खेत खाये गदहा, मार खाये जोलहा – अपराध करे कोई, दण्ड मिले किसी और को 20. बेकार से बेगार भली – चुपचाप बैठे रहने की अपेक्षा कुछ काम करना 21. खरी मजूरी चोखा काम – अच्छे मुआवजे में ही अच्छा फल प्राप्त होना 22. नौ की लकड़ी नब्बे खर्च – काम साधारण, खर्च अधिक 23. बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मिया सुभान अल्लाह – बड़ा तो जैसा है, छोटा उससे बढ़कर है 24. एक पंथ दो काज – एक नहीं, दो लाभ 25. दूध का जला मट्ठा भी फूँक-फूँक कर पीता है – एक बार धोखा खा जाने पर सावधान हो जाना 26. बोये पेड़े बबूल के आम कहाँ से होय – जैसी करनी, वैसी भरनी 27. एक तो चोरी दूसरे सीनाजोरी – दोष करके न मानना 28. नीम हकीम खतरे जान – अयोग्य से हानि 29. भइ गति साँप-छछूँदर केरी – दुविधा में पड़ना 30. कबीरदास की उलटी बानी, बरसे कंबल भींगे पानी – प्रकृतिविरुद्ध काम 31. नाचे कूदे तोड़े तान, ताको दुनिया राखे मान – आडम्बर दिखानेवाला मान पाता है 32. तीन कनौजिया, तेरह चूल्हा – जितने आदमी उतने विचार 33. पानी पीकर जात पूछना – कोई काम कर चुकने के बाद उसके औचित्य पर विचार करना 34. खोदा पहाड़ निकली चुहिया – कठिन परिश्रम, थोड़ा लाभ 35. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं – पराधीनता में सुख नहीं 36. घड़ी में घर जले, नौ घड़ी भद्रा – हानि के समय सुअवसर-कुअवसर पर ध्यान न देना 37. कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा – इधर-उधर से सामान जुटाकर काम करना 38. पराये धन पर लक्ष्मीनारायण – दूसरे का धन पाकर अधिकार जमाना 39. थूक कर चाटना ठीक नहीं – देकर लेना ठीक नहीं, बचन-भंग करना, अनुचित 40. गाछे कटहल, ओठे तेल – काम होने के पहले ही फल पाने की इच्छा 41. गोद में छोरा नगर में ढिंढोरा – पास की वस्तु का दूर जाकर ढूँढ़ना 42. गरजे सो बरसे नहीं – बकवादी कुछ नहीं करता 43. घर का फूस नहीं, नाम धनपत – गुण कुछ नहीं, पर गुणी कहलाना 44. घर की भेदी लंका ढाए – आपस की फूट से हानि होती हे 45. घी का लड्डू टेढ़ा भला – लाभदायक वस्तु किसी तरह की क्यों न हो 46. चोर की दाढ़ी में तिनका – जो दोषी होता है वह खुद डरता रहता है 47. पंच परमेश्वर – पाँच पंचों की राय 48. तीन लोक से मथुरा न्यारी – निराला ढंग 49. तुम डाल-डाल तो हम पात-पात – किसी की चाल को खूब समझते हुए चलना 50. धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का – निकम्मा, व्यर्थ इधर-उधर डोलनेवाला
1. मानो तो देव, नहीं तो पत्थर – विश्वास ही फलदायक 2. आम का आम गुठली का दाम – सब तरह से लाभ-ही-लाभ 3. घर की मुर्गी दाल बराबर – घर की वस्तु का कोई आदर नहीं करना 4. बिल्ली के भाग्य से छींका (सिकहर) टूटा – संयोग अच्छा लग गय 5. ऊँचे चढ़ के देखा, तो घर-घर एकै लेखा – सभी एक समान
6. रोजा बख्शाने गये, नमाज लगे पड़ी – लाभ के बदले हानि 7. मुँह में राम, बगल में छुरी – कपटी 8. इस हाथ दे, उस हाथ ले – कर्मों का फल शीघ्र पाना 9. मोहरों की लूट, कोयले पर छाप – मूल्यवान वस्तुओं को छोड़कर तुच्छ वस्तुओं पर ध्यान देना 10. गुड़ खाय गुलगुले से परहेज – बनावटी परहेज 11. नाम बड़े, पर दर्शन थोड़े – गुण से अधिक बड़ाई 12. लश्कर में ऊँट बदनाम – दोष किसी का, बदनामी किसी की 13. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे – अपराधी ही पकड़नेवाली को डाँट बताये
14. दुधारु गाय की दो लात भी भली – जिससे लाभ होता हो, उसकी बातें भी सह लेनी चाहिए 15. बैल का बैल गया नौ हाथ का पगहा भी गया – बहुत बड़ा घाटा 16. ऊँट के मुँह में जीरा – मरूरत से बहुत कम 17. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी – झगड़े के कारण को नष्ट करना 18. भैंस के आगे बीन बजावे, भैंस रही पगुराय – मूर्ख को गुण सिखाना व्यर्थ है 19. खेत खाये गदहा, मार खाये जोलहा – अपराध करे कोई, दण्ड मिले किसी और को 20. बेकार से बेगार भली – चुपचाप बैठे रहने की अपेक्षा कुछ काम करना 21. खरी मजूरी चोखा काम – अच्छे मुआवजे में ही अच्छा फल प्राप्त होना 22. नौ की लकड़ी नब्बे खर्च – काम साधारण, खर्च अधिक 23. बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मिया सुभान अल्लाह – बड़ा तो जैसा है, छोटा उससे बढ़कर है 24. एक पंथ दो काज – एक नहीं, दो लाभ 25. दूध का जला मट्ठा भी फूँक-फूँक कर पीता है – एक बार धोखा खा जाने पर सावधान हो जाना 26. बोये पेड़े बबूल के आम कहाँ से होय – जैसी करनी, वैसी भरनी 27. एक तो चोरी दूसरे सीनाजोरी – दोष करके न मानना 28. नीम हकीम खतरे जान – अयोग्य से हानि 29. भइ गति साँप-छछूँदर केरी – दुविधा में पड़ना 30. कबीरदास की उलटी बानी, बरसे कंबल भींगे पानी – प्रकृतिविरुद्ध काम 31. नाचे कूदे तोड़े तान, ताको दुनिया राखे मान – आडम्बर दिखानेवाला मान पाता है 32. तीन कनौजिया, तेरह चूल्हा – जितने आदमी उतने विचार 33. पानी पीकर जात पूछना – कोई काम कर चुकने के बाद उसके औचित्य पर विचार करना 34. खोदा पहाड़ निकली चुहिया – कठिन परिश्रम, थोड़ा लाभ 35. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं – पराधीनता में सुख नहीं 36. घड़ी में घर जले, नौ घड़ी भद्रा – हानि के समय सुअवसर-कुअवसर पर ध्यान न देना 37. कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा – इधर-उधर से सामान जुटाकर काम करना 38. पराये धन पर लक्ष्मीनारायण – दूसरे का धन पाकर अधिकार जमाना 39. थूक कर चाटना ठीक नहीं – देकर लेना ठीक नहीं, बचन-भंग करना, अनुचित 40. गाछे कटहल, ओठे तेल – काम होने के पहले ही फल पाने की इच्छा 41. गोद में छोरा नगर में ढिंढोरा – पास की वस्तु का दूर जाकर ढूँढ़ना 42. गरजे सो बरसे नहीं – बकवादी कुछ नहीं करता 43. घर का फूस नहीं, नाम धनपत – गुण कुछ नहीं, पर गुणी कहलाना 44. घर की भेदी लंका ढाए – आपस की फूट से हानि होती हे 45. घी का लड्डू टेढ़ा भला – लाभदायक वस्तु किसी तरह की क्यों न हो 46. चोर की दाढ़ी में तिनका – जो दोषी होता है वह खुद डरता रहता है 47. पंच परमेश्वर – पाँच पंचों की राय 48. तीन लोक से मथुरा न्यारी – निराला ढंग 49. तुम डाल-डाल तो हम पात-पात – किसी की चाल को खूब समझते हुए चलना 50. धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का – निकम्मा, व्यर्थ इधर-उधर डोलनेवाला
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