परिश्रम का महत्व और परिश्रम ही जीवन है
परिश्रम से ही कार्य होते है, इच्छा से नही. परिश्रम का महत्व में हमें यही बताया गया है – सोते हुए सिंह के मुँह में पशु स्वयं नही आ गिरते. इससे स्पष्ट है कि कार्य सिद्धि के लिए परिश्रम बहुत आवश्यक है. सृष्टि के आरम्भ से लेकर आज तक मनुष्य ने जो भी विकास किया है, वह सब परिश्रम की ही देन है. जब मानव जंगल अवस्था में था, तब वह घोर परिश्रमी था. उसे खाने-पीने, सोने, पहनने आदि के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती थी. आज, जबकि युग बहुत विकसित हो चूका है, परिश्रम की महिमा कम नही हुई है.
बड़े-बड़े बाधों का निर्माण देखिये, अनेक मंजिले भवन देखिये, खदानों की खुदाई, पहाड़ों की कटाई, समुद्र की गोताखोरी या आकाश मंडल की यात्रा का अध्ययन कीजिये.
सब जगह मानव के परिश्रम की गाथा सुनाई पड़ेगी, एक कहावत है स्वर्ग क्या है, अपनी म्हणत से रची गई सृष्टि, नरक क्या है? अपने आप बन गई दूरवस्था आशय यह है कि स्वर्गीय सुखो को पाने के लिए तथा विकास करने के लिए मेहनत अनिवार्य है. इसलिए मैथिलीशरण गुप्त ने कहा है.
“पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो, सफलता वर तुल्य वरो उठो, अपुरुषार्थ भयंकर पाप है, न उसमे यश है, न प्रताप है”
केवल शारीरिक परिश्रम ही परिश्रम नहीं है. कार्यालय में बैठे हुए प्राचार्य लिपिक या मैनेजर केवल लेखनी चलाकर या परामर्श देकर भी जी तोड़ मेहनत करते है. जिस क्रिया में कुछ काम करना पड़े, जोर लगाना पड़े, तनाव मोल लेना पड़े, वह मेहनत कहलाती है. महात्मा गांधी दिन भर सलाह मशविरे में लगे रहते थे, परन्तु वे घोर परिश्रमी थे.
पुरुषार्थ का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे सफलता मिलती है. परिश्रम ही सफलता की और जाने वाली सड़क है. परिश्रम से आत्मविश्वास पैदा होता है. मेहनती आदमी को व्यर्थ में किसी भी जी हजूरी नहीं करनी पड़ती, बल्कि लोग उसकी जी हजुरी करते है. तीसरे मेहनती आदमी का स्वास्थ्य सदा ठीक रहता है. चौथे म्हणत करने से गहरा आनद मिलता है. उससे मन में यह शांति होती है कि मैं निठल्ला नहीं बैठा. किसी विद्वान् का कथन है जब तुम्हारे जीवन में घोर आपत्ति और दुःख आ जाए तो व्याकुल और निराश मत बनो अपितु तुरंत काम में जुट जाओ. स्वयम को कार्य में तल्लीन का कर दो तो तुम्हे वास्तविक शांति और नवीन प्रकाश की प्राप्ति होगी.
राबर्ट कोलियार कहते है मनुष्य का सर्वोत्तम मित्र उसकी दस उंगलिया है अत: हमें जीवन का एक-एक क्षण परिश्रम करने में बिताना चाहिए. श्रम मानव जीवन का सच्चा सोंदर्य है.
No comments:
Post a Comment