अगर मैं प्रधानमंत्री होता तो देश कि क्या छवि क्या होती, देश को किस तरह से मैं नेतृत्व करता इसी बात को प्रधानमंत्री निबंध को दर्शाया गया है.
किसी आजाद मुल्क का नागरिक अपनी योग्यताओं का विस्तार करके अपनी आकांक्षाओ को पूरा कर सकता है, वह कोई भी पद, स्थान या अवस्था को प्राप्त कर सकता है. उसको ऐसा होने का अधिकार उसका संविधान प्रदान करता है. भारत जैसे विशाल राष्ट्र में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के पद को प्राप्त करना या तो आकाश कुसुम तोड़ने के समान है फिर भी जहाँ चाह वहां राह के अनुसार यहाँ का अत्यंत सामान्य नागरिक भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बन सकता है. लाल बहादुरशास्त्री और ज्ञानी जैलसिंह इसके प्रमाण है.
किसी आजाद मुल्क का नागरिक अपनी योग्यताओं का विस्तार करके अपनी आकांक्षाओ को पूरा कर सकता है, वह कोई भी पद, स्थान या अवस्था को प्राप्त कर सकता है. उसको ऐसा होने का अधिकार उसका संविधान प्रदान करता है. भारत जैसे विशाल राष्ट्र में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के पद को प्राप्त करना या तो आकाश कुसुम तोड़ने के समान है फिर भी जहाँ चाह वहां राह के अनुसार यहाँ का अत्यंत सामान्य नागरिक भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बन सकता है. लाल बहादुरशास्त्री और ज्ञानी जैलसिंह इसके प्रमाण है.
यहाँ प्रतिपाद विषय को उल्लेख प्रस्तुत है कि अगर मैं प्रधानमंत्री होता तो क्या करता? मैं यह भली भांति जानता हूँ कि प्रधानमंत्री का पद अत्यंत विशिष्ट और महान उत्तरदायित्वपूर्ण पद है. इसकी गरिमा और महानता को बनाये रखने में किसी एक सामान्य और भावुक व्यक्ति के लिए सम्भव नही है फिर मैं महत्वाकांक्षी हूँ और अगर मैं प्रधानमंत्री बन गया तो निश्चय समूचे राष्ट्र की काया पलट कर दूंगा. मैं क्या-क्या राष्ट्रोंत्थान के लिए कदम उठाऊंगा, उसे मैं प्रस्तुत करना पहला कर्तव्य मानता हूँ जिससे मैं लगातार इस पद पर बना रहूँ.
सबसे पहले शिक्षा नीति में आमूल चुल परिवर्तन लाऊंगा. मुझे सुविज्ञात है कि हमारी कोई स्थायी शिक्षा नीति नहीं है जिससे शिक्षा का स्तर दिनोदिन गिरता जा रहा है, बेरोजगारी की जो आज विभीषिका आज के शिक्षित युवको को त्रस्त कर रही है, उनका मुख्य कारण हमारी बुनियादी शिक्षा की कमजोरी, प्राचीन काल की गुरु शिष्य परम्परा की गुरुकुल परिपाटी की शुरुआत नए सिरे से करके धर्म और राजनीति के समन्वय से आधुनिक शिक्षा का सूत्रपात कराना चाहूँगा. राष्ट्र को ब्राहा शक्तियों के आक्रमण का खतरा आज भी बना हुआ है. हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा अभी अपेक्षित रूप में नही है. इसके लिए अत्याधुनिक युद्ध के उपकरणों का आयात बढ़ाना होगा.
मैं खुले आम न्यूक्लियर विस्फोट का उपयोग सृजनात्मक कार्यो के लिए ही करना चाहूँगा. मैं किसी प्रकार ढुलमूल राजनीति का शिकार नही बनूँगा अगर कोई राष्ट्र हमारे राष्ट्र की और आँख उठाकर देखे तो मैं उसका मुहतोड़ जवाब देने में संकोच नही करूँगा. मैं अपने वीर सैनिको को उत्साहवर्दन करते हुए उनके जीवन को अत्यधिक सम्पन्न और खुशहाल बनाने के लिए उन्हें पूरी समुचित सुविधाए प्रदान कराऊंगा जिससे वे राष्ट्र की आन-मान पर न्योछावर होने में पीछे नहीं हटेंगे.
हमारे देश की खाद्य समस्या सर्वाधिक जटिल और दुखद समस्या है. कृषि प्रधान राष्ट्र होने के वावजूद यहाँ खाद्य संकट हमेशा मंडराया करता है. इसको ध्यान में रखते हुए मैं नवीनतम कृषि यंत्रो, उपकरणों और रासायनिक खादों और सिंचाई के विभिन्न साधनों के द्वारा कृषि-दशा की दयनीय स्थिति को सबल बनाऊंगा.
देश की जो बंजर और बेकार भूमि है उसका पूर्ण उपयोग कृषि के लिए करवाते हुए कृषको को एक से एक बढ़कर उन्नतिशील बीज उपलब्ध कराके उनकी अपेक्षित सहायता सुलभ कराऊंगा यदि मैं प्रधानमंत्री हूँगा तो देश में फैलती हुई राजनीतिक अस्थिरता पर कड़ा अंकुश लगाकर दलों के दलदल को रोक दूंगा. राष्ट्र को पतन की और ले जाने वाली राजनीतिक अस्थिरता के फलस्वरूप प्रतिदिन होने वाले आंदोलनों काम रोको और विरोध दिवस बंद को समाप्त करने के लिए पूरा प्रयास करूँगा. देश में गिरती हुई अर्थ व्यवस्था को पूरी तरह से बदलकर देश को आर्थिक दृष्टी से अन्तराष्ट्रीय महत्त्व प्रदान कराऊंगा.
देश को विकलांग करने वाले तत्वों जैसे मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार ही नव अवगुणों की जड़ है. इसको जडमूल से समाप्त करने के लिए अपराधी तत्वों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाकर समस्त वातावरण को शिष्ट और स्वच्छ व्यवहारों से भरने की मेरी सबल कोशिश होगी. यही आज धर्म और जाति को लेकर तो सांप्रदायिकता फैलाई जा रही है वह राष्ट्र को पराधीनता की और ढकेलने के ही अर्थ में है, इसलिए ऐसी राष्ट्र विरोधी शक्तियों को आज दंड की सजा देने के लिए मैं सबसे संसद के दोनों सदनों से अधिक से अधिक मतों से इस प्रस्ताव को पारित करा करके राष्ट्रपति से सिफारिश करके संविधान में परिवर्तन के बाद एक विशेष अधिनियम जारी कराऊंगा जिससे विदेशी हाथ अपना बटोर सके. संक्षेप में यही कहना चाहता हूँ कि यदि मैं प्रधानमंत्री हूँगा तो राष्ट्र और समाज के कल्याण और पुरे उत्थान के लिए मैं एडी चौती का प्रयास करके प्रधानमंत्रीयो की परम्परा और इतिहास में अपना सबसे अधिक लोकापेक्षित नाम स्थापित करूँगा. भारत्त को सोने की चिड़िया बनाने वाला यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो कथनी और करनी को साकार कर देता.
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